चर्चा में क्यों है?
लाल सागर व्यापारिक मार्ग में जहाज़ों पर हाल ही में हुए हमलों और पनामा नहर में चल रही सूखे की समस्या ने वैश्विक व्यापार व्यवधानों के बारे में चिंताएँ बढ़ा दी हैं।
वर्तमान में लाल सागर और पनामा नहर में मुख्य मुद्दे कौन से हैं?
लाल सागर:
मुद्दा: अभी हाल ही में रासायन पदार्थों से भरे टैंकर MV केम प्लूटो पर गुजरात के तट से लगभग 200 समुद्री मील दूर एक ड्रोन हमला हुआ था।
MV केम प्लूटो एक लाइबेरिया-ध्वजांकित, जापानी स्वामित्व वाला और नीदरलैंड द्वारा संचालित रासायनिक टैंकर है। इसने सऊदी अरब के अल ज़ुबैल से कच्चा तेल लेकर अपनी यात्रा शुरू की थी और इसके भारत के न्यू मैंगलोर पहुँचने की उम्मीद थी।
कथित रूप से शामिल: ऐसा माना जाता है कि गज़ा में इज़रायल की कार्रवाइयों के विरोध का हवाला देते हुए, यमन स्थित हूती विद्रोहियों द्वारा इसे अंजाम दिया गया था।
हूती विद्रोही समूह यमन सरकार के साथ एक दशक से चल रहे नागरिक संघर्ष में भी शामिल रहा है।
लाल सागर मार्ग में व्यवधान से केप ऑफ गुड होप के माध्यम से शिपिंग की जाएगी जिसके परिणामस्वरूप भारतीय कृषि उत्पादों की कीमत में 10-20% की वृद्धि हो सकती है।
भारत पर प्रभाव: इस महत्त्वपूर्ण व्यापार मार्ग में व्यवधान के कारण भारतीय तेल आयातकों और बासमती चावल तथा चाय जैसी प्रमुख वस्तुओं के निर्यातकों के लिये चिंताएँ पैदा हो गई हैं।
ध्यान देने योग्य बात: प्रमुख शिपिंग कंपनियों के द्वारा लाल सागर मार्ग से व्यापार न करने के कारण, तेल एवं पेट्रोलियम के वैश्विक प्रवाह में महत्वपूर्ण गिरावट आई है। हालाँकि, भारत का रूस से तेल आयात अप्रभावित रहा है।
लाल सागर में संघर्ष के बीच, रूसी तेल पर भारत की निर्भरता, जिसे ईरान के सहयोगी के रूप में देखा जाता है, स्थिर बनी हुई है।
पनामा नहर:
मुद्दा: सूखे की स्थिति के कारण, पनामा नहर के 51-मील विस्तार के माध्यम से शिपिंग में 50% से अधिक की कमी आई है।
मध्य और पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में सामान्य से अधिक गर्म समुद्री जल से संबंधित प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होने वाला अल-नीनो जलवायु पैटर्न पनामा के सूखे में योगदान दे रहा है।
प्रभाव: जल की यह कमी एशिया से अमेरिका जाने वाले जहाज़ो को स्वेज़ नहर का विकल्प चुनने के लिए मजबूर कर रही है, जिससे पनामा मार्ग की तुलना में अतिरिक्त छह दिन का समय लगता है।
लाल सागर क्षेत्र में स्वेज़ नहर की ओर जाने वाली बाब-अल-मंडेब जलडमरूमध्य एशिया को यूरोप से जोड़ती है, जबकि 100 वर्ष पुरानी पनामा नहर अटलांटिक व प्रशांत महासागरों को जोड़ती है।
ये दोनों जल मार्ग विश्व के सबसे व्यस्ततम मार्गों में से एक हैं।
वैश्विक व्यापार में समुद्री परिवहन की क्या भूमिका है?
व्यापक मात्रा तथा मूल्य वाहक: व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन- UNCTAD के अनुसार समुद्री परिवहन कुल परिवहन मात्रा में वैश्विक व्यापार का 80% तथा मूल्य के हिसाब से 70% से अधिक का योगदान देता है, जो परिवहन के अन्य माध्यमों से कहीं अधिक है।
वर्ष 2019 तक देखें तो वार्षिक विश्व परिवहन व्यापार का कुल मूल्य 14 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक तक पहुँच गया था।
पर्यावरणीय संदर्भ: जबकि शिपिंग वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में लगभग 3% का योगदान देता है, यह अपेक्षाकृत अधिक ईंधन-कुशल है और हवाई माल ढुलाई जैसे परिवहन के अन्य साधनों की तुलना में प्रति टन कार्गो का कम उत्सर्जन करता है।
ऊर्जा स्रोतों का परिवहन: विश्व के अधिकांश ऊर्जा संसाधनों, जैसे तेल एवं प्राकृतिक गैस का परिवहन समुद्र द्वारा किया जाता है। टैंकर इन संसाधनों को उत्पादन क्षेत्रों से उपभोक्ता क्षेत्रों तक ले जाते हैं, जो कुल वैश्विक ऊर्जा मांगों को पूरा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
भारत इन मुद्दों की संवेदनशीलता/सुभेद्यता को कम करने के लिये क्या उपाय अपना सकता है?
संयुक्त समुद्री सुरक्षा पहल: प्रमुख लाल सागर हितधारकों (मिस्र, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, यमन) के साथ एक सहयोगी सुरक्षा ढाँचे का प्रस्ताव जिसमें खुफिया जानकारी साझा करना, समन्वित गश्त और संयुक्त अभ्यास शामिल हैं।
उन्नत निगरानी प्रणालियों की तैनाती: खतरे का शीघ्र पता लगाने और प्रतिक्रिया क्षमताओं को बढ़ाने के लिये भारत के पश्चिमी तट पर एकीकृत रडार एवं ड्रोन निगरानी प्रणालियाँ स्थापित की जा सकती हैं।
तरजीही/अधिमानी अभिगम पर वार्ता: भारतीय जहाज़ों के लिए तरज़ीही/अधिमानी मार्ग या विशिष्ट मार्गों के लिए संभावित टोल छूट संबंधी संभावनाओं का लगाने हेतु पनामा नहर अधिकारियों के साथ संवाद किया जाना चाहिए।
वैकल्पिक व्यापार मार्गों पर विचार
हाल ही में, बेन गुरियन नहर परियोजना में नए सिरे से रुचि बढ़ी है, एक प्रस्तावित 160 मील लंबी समुद्र-स्तरीय नहर जो स्वेज़ नहर को दरकिनार/बाइपासिंग करते हुए भूमध्य सागर को अकाबा की खाड़ी से जोड़ेगी।