पृथ्वी की उत्पत्ति

परिचय विभिन्न खगोलीय पिंड जैसे तारे, ग्रह इत्यादि निरंतर सूर्य की कक्षा में चक्कर लगाते रहते हैं, जिसे संयुक्त रूप से सौरमंडल कहा जाता है। इसमें नौ ग्रह, कुछ बौने ग्रह, 63 चंद्रमा, लाखों अपेक्षाकृत छोटे खगोलीय पिंड जैसे ग्रहिकाएँ (क्षुद्र ग्रह) और पुच्छल तारे (धूमकेतु) सम्मिलित हैं; साथ ही साथ इसमें बड़ी मात्रा में … Read more

सौर-मण्डल (Our Solar System)

सौर मण्डल सौर मंडल में सूर्य और वह खगोलीय वस्तुएँ सम्मिलित हैं, जो इस मंडल में एक दूसरे से गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा बंधे हैं। किसी तारे के इर्द गिर्द परिक्रमा करते हुई उन खगोलीय वस्तुओं के समूह को ग्रहीय मण्डल कहा जाता है जो अन्य तारे न हों, जैसे की ग्रह, बौने ग्रह, प्राकृतिक उपग्रह, … Read more

अंतर्जनित बल

7.1 प्रस्तावना उद्देश्य 7.2 अंतर्जनित बल: मौलिक संकल्पनाएँ और वर्गीकरण 7.3 पटल-विरूपणी बल महादेश जनित संचलन पर्वतोत्पत्ति संबन्धी गतियाँ 7.4 ज्वालामुखीयता, ज्वालामुखियों के प्रकार ज्वालामुखियों का वितरण 7.5 भूकंप भूकंप कैसे आते हैं? भूकंपीय तरंगें भूकंप का विस्तार और तीव्रता 7.6 सारांश 7.7 अंत में कुछ प्रश्न 7.8 उत्तर 7.9 संदर्भ / अन्य पाठ्य सामग्री … Read more

ग्रामीण-शहरी विकास एवं प्रमुख मुद्दे

ग्रामीण-शहरी विकास का अर्थ: ग्रामीण-शहरी विकास का तात्पर्य नीतियों और पहलों के एकीकृत नियोजन और कार्यान्वयन से है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच अंतर को कम करना, संतुलित क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देना और दोनों व्यवस्थाओं में सतत वृद्धि को बढ़ावा देना है। इसमें ऐसी रणनीतियाँ शामिल हैं जो अवसंरचना में सुधार, … Read more

भारत की अवस्थिति और विस्तार

भारत का सामान्य परिचय विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक है। पिछले पाँच दशकों में भारत ने सामाजिक-आर्थिक रूप से बहुमुखी उन्नति की है। कृषि, उद्योग, तकनीकी और सर्वांगीण आर्थिक विकास में अद्भुत प्रगति हुई है। प्राचीन काल से ही भारत का विश्व इतिहास में भी महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। भारत एक बड़े भौगोलिक … Read more