भारत की पंचवर्षीय योजनाएँ

पंचवर्षीय योजनाओं का इतिहास:

  1. अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण के लिए आर्थिक नियोजन के विचार को 1940 और 1950 के दशक में पूरे विश्व में जनसमर्थन प्राप्त हुआ।
  • वर्ष 1944 में उद्योगपतियों का एक समूह एकजुट हुआ जिसने भारत में नियोजित अर्थव्यवस्था की पुनर्स्थापना हेतु एक संयुक्त प्रस्ताव तैयार किया। इसे ‘बॉम्बे प्लान’ कहा जाता है। ‘बॉम्बे प्लान’ की मंशा थी कि सरकार औद्योगिक और अन्य आर्थिक निवेश के क्षेत्रों में बड़े कदम उठाए।
  • भारत की स्वतंत्रता के बाद नियोजित ढंग से किए गए विकास को देश के लिए एक महत्त्वपूर्ण विकल्प के तौर पर देखा जाने लगा।
  • जोसेफ स्टालिन ऐसे प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने वर्ष 1928 में सोवियत संघ में पंचवर्षीय योजना को लागू किया। इस योजना के तीन प्रमुख उद्देश्य थे – सामूहिक कृषि, भारी उद्योगों की स्थापना और नए श्रमिक समाज का निर्माण।
  • भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था के निर्माण और विकास को प्राप्त करने के लिए स्वतंत्रता के बाद पंचवर्षीय योजनाओं (FYPs) की एक शृंखला आरंभ की।

पंचवर्षीय योजना (FYP) की अवधारणा:

  1. पंचवर्षीय योजनाओं का यह एक सामान्य विचार है कि भारत सरकार अपनी ओर से दस्तावेज़ तैयार करती है, जिसमें अगले पाँच वर्षों के लिए उसकी आय और व्यय की योजना होती है।
  • केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों के बजट को दो भागों: गैर-योजनागत बजट और योजनागत बजट में बाँटा गया है।
  • गैर-योजनागत बजट सालाना दैनंदिन मदों पर खर्च किया जाता है। योजनागत बजट को योजना द्वारा निर्धारित प्राथमिकताओं के अनुसार पंचवर्षीय आधार पर खर्च किया जाता है।
  • वर्ष 1951 से 2017 तक भारतीय अर्थव्यवस्था का मॉडल नियोजन की पंचवर्षीय योजनाओं पर आधारित था।
  • पंचवर्षीय योजनाओं को तैयार करने, कार्यान्वित करने तथा विनियमित करने का काम योजना आयोग नामक संस्था द्वारा किया जाता रहा है।
  • किंतु वर्ष 2015 में योजना आयोग को नीति आयोग नामक थिंक टैंक द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया।
  • नीति आयोग ने तीन दस्तावेज़ प्रस्तुत किए हैं, जिनमें शामिल हैं- 3 वर्षीय एक्शन एजेंडा, 7 वर्षीय मध्यम अवधि का रणनीति पेपर और 15 वर्षीय विज़न डॉक्यूमेंट।
पंचवर्षीय योजनाविशेषताएँ
प्रथम पंचवर्षीय योजना (1951-56) >भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भारतीय संसद में इसे प्रस्तुत किया था।
>इसमें मुख्यतः कृषि क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किया गया था, जिसमें बाँधों और सिंचाई में निवेश शामिल था। उदाहरण के लिए भाखड़ा नंगल बाँध के लिए भारी राशि का आवंटन किया गया था।
>यह योजना हैरोड-डोमर मॉडल पर आधारित थी।
>इसी योजना के अंतर्गत 1956 के अंत तक, पाँच भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IITs) की स्थापना की गई।
>इस योजना की लक्षित वृद्धि दर 2.1% थी, जबकि प्राप्त विकास दर 3.6% रही, अर्थात यह योजना सफल रही।
द्वितीय पंचवर्षीय योजना (1956-61)>दूसरी पंचवर्षीय योजना में तीव्र औद्योगीकरण और सार्वजनिक क्षेत्र के विकास पर विशेष बल दिया गया।
>यह योजना पी.सी. महालनोबिस मॉडल पर आधारित थी।
>इस योजना के अंतर्गत भारत सरकार ने घरेलू उद्योगों की रक्षा के लिए आयात पर शुल्क अधिरोपित किए।
>इस योजना की लक्षित वृद्धि दर 4.5% थी, जबकि वास्तविक विकास दर अपेक्षा से थोड़ी कम (4.27%) रही। 
तृतीय पंचवर्षीय योजना (1961-66)>इस योजना ने कृषि को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान की, परंतु इसके साथ-साथ इसने बुनियादी उद्योगों के विकास पर भी पर्याप्त बल दिया जो कि तीव्र आर्थिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक था।  
>राज्यों को विकास संबंधी अतिरिक्त उत्तरदायित्व सौंपे गए। उदाहरण के लिए राज्यों को माध्यमिक और उच्च शिक्षा का उत्तरदायित्व सौंपा गया।  
>ज़मीनी स्तर पर लोकतंत्र स्थापित करने के लिए पंचायत चुनाव की शुरुआत की गई।  
>लक्षित वृद्धि दर 5.6% थी जबकि वास्तविक विकास दर केवल 2.4% ही रही।
>चीन (1962) और पाकिस्तान (1965) से युद्ध तथा वर्षा न होने के कारण यह योजना अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में असफल रही, जिसके कारण चौथी योजना तीन वर्ष के लिए स्थगित करके इसके स्थान पर तीन एक वर्षीय योजनाएँ लागू की गईं अर्थात सरकार को “योजना अवकाश” (1966-67, 1967-68, और 1968-69) की घोषणा करनी पड़ी।
चतुर्थ पंचवर्षीय योजना (1969-74)>इस योजना को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल के दौरान पेश किया गया था।
>यह योजना गाडगिल फॉर्मूले पर आधारित थी, जिसमें स्थिरता के साथ विकास और आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रगति पर बहुत अधिक ज़ोर दिया गया था।
>सरकार ने 14 प्रमुख भारतीय बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया तथा हरित क्रांति ने कृषि को बढ़ावा दिया।
>इसी योजना के दौरान 1971 में हुए चुनावों में इंदिरा गांधी ने “गरीबी हटाओ” का नारा दिया।
>इसी योजना में सूखा प्रवण क्षेत्र कार्यक्रम (Drought Prone Area Programme) की भी शुरुआत की गई।
>इस योजना की लक्षित वृद्धि दर 5.6% थी, जबकि वास्तविक विकास दर 3.6% ही थी। 
पाँचवीं पंचवर्षीय योजना (1974-78)>इसने रोज़गार सृजन और निर्धनता उन्मूलन पर ज़ोर दिया।
>वर्ष 1975 में, विद्युत आपूर्ति अधिनियम में संशोधन किया गया, जिससे केंद्र सरकार विद्युत् उत्पादन और पारेषण के क्षेत्र में प्रवेश कर सकी।
>भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्रणाली की शुरुआत इसी योजना में की गई थी।
>इस योजना के पहले वर्ष में न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम (Minimum Needs Programme-MNP) शुरू किया गया, जिसका उद्देश्य बुनियादी न्यूनतम आवश्यकताएँ प्रदान करना था।
>न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम (MNP) का ड्राफ्ट डी.पी. धर द्वारा तैयार किया गया था।
>इस योजना की लक्षित विकास दर 4.4% और वास्तविक विकास दर 4.8% थी।
>वर्ष 1978 में नवनिर्वाचित मोरारजी देसाई सरकार ने इस योजना को समय से पहले ही समाप्त कर दिया। 
रोलिंग प्लान (1978-80) यह राजनीतिक अस्थिरता का दौर था। जनता पार्टी सरकार ने पाँचवीं पंचवर्षीय योजना को समय से पहले ही समाप्त कर दिया और एक नई छठी पंचवर्षीय योजना प्रस्तुत की। इसके बाद वर्ष 1980 में इंदिरा गांधी के फिर से प्रधानमंत्री चुने जाने पर, सरकार द्वारा इसे खारिज कर दिया गया था। एक रोलिंग प्लान का तात्पर्य ऐसी योजना से है, जिसमें योजना की प्रभावशीलता का मूल्यांकन वार्षिक रूप से किया जाता है और इस मूल्यांकन के आधार पर अगले वर्ष के लिए एक नई योजना बनाई जाती है।
छठी पंचवर्षीय योजना (1980-85)  >इसने मूल्य नियंत्रणों को समाप्त करके आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत की।
>इस योजना को नेहरू के समाजवाद (Nehruvian Socialism) के अंत के रूप में देखा गया।
>इसी योजना में जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने हेतु, परिवार नियोजन कार्यक्रम शुरू किया गया।
>शिवरमन समिति की सिफारिश पर, राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक- नाबार्ड (National Bank for Agriculture and Rural Development- NABARD) की स्थापना इसी समय की गई।
>इस योजना की लक्षित विकास दर 5.2% और वास्तविक विकास दर 5.7% थी, जिसका अर्थ है कि यह पंचवर्षीय योजना सफल रही।
सातवीं पंचवर्षीय योजना (1985-90)  >यह योजना प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान प्रस्तुत की गई।
>इस दौरान प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से औद्योगिक उत्पादकता के स्तर में सुधार पर ज़ोर दिया गया।
>छठी पंचवर्षीय योजना के परिणामों ने सातवीं पंचवर्षीय योजना की सफलता के लिए एक मज़बूत आधार प्रदान किया।
>इसने निर्धनता-विरोधी कार्यक्रमों, आधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग और भारत को एक स्वतंत्र अर्थव्यवस्था बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
>इस योजना की लक्षित वृद्धि दर 5.0% थी, जबकि वास्तविक विकास दर 6.01% रही। 
वार्षिक योजनाएँ (1990-92) वर्ष 1990 में आठवीं पंचवर्षीय योजना को शुरू नहीं किया जा सका और बाद के वर्षों 1990-91 और 1991-92 को वार्षिक योजना के रूप में रेखांकित किया गया। इसका मुख्य कारण काफी हद तक आर्थिक अस्थिरता का होना था। भारत को इस दौरान विदेशी मुद्रा भंडार के संकट का सामना करना पड़ा। इसी समय प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव के नेतृत्व में अर्थव्यवस्था के संकट से निपटने के लिए भारत में उदारीकरण, निजीकरण, वैश्वीकरण (Liberalisation, Privatisation, Globalisation- LPG) की शुरुआत की गई थी।
आठवीं पंचवर्षीय योजना (1992-97)>आठवीं पंचवर्षीय योजना ने उद्योगों के आधुनिकीकरण को बढ़ावा दिया।
>इसी योजना के दौरान भारत 1 जनवरी, 1995 को विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation- WTO) का सदस्य बना।
>इसके मुख्य लक्ष्य जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना, निर्धनता उन्मूलन, रोज़गार सृजन, बुनियादी ढाँचे के विकास को मज़बूत करना, पर्यटन का प्रबंधन, मानव संसाधन विकास पर ध्यान केंद्रित करना आदि थे।
>इसने लोकतंत्र के विकेंद्रीकरण के माध्यम से पंचायतों और नगर पालिकाओं को शामिल करने पर भी ज़ोर दिया।
>इस योजना की लक्षित वृद्धि दर 5.6% थी, लेकिन वास्तविक विकास दर अविश्वसनीय रूप से 6.8% रही।
नौवीं पंचवर्षीय योजना (1997-2002)>नौवीं योजना के दौरान भारत के प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे।
>नौवीं योजना में मुख्य रूप से आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने के लिए देश की अव्यक्त और अस्पष्टीकृत आर्थिक क्षमता का उपयोग करने का प्रयास किया गया था।
>इसके अलावा, इस योजना का उद्देश्य सामाजिक रूप से वंचित वर्गों को सशक्त बनाना, आत्मनिर्भरता विकसित करना तथा देश में सभी बच्चों के लिये प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराना था।
>इस योजना की लक्षित विकास दर 7.1% अनुमानित की गई थी, लेकिन इसकी वास्तविक विकास दर 6.8% रही।
दसवीं पंचवर्षीय योजना (2002-07)>इस योजना की विशेषताओं में समावेशी तथा समान विकास को बढ़ावा देना शामिल था।
>इसमें प्रति वर्ष 8% GDP विकास दर का लक्ष्य रखा गया।
>इसका उद्देश्य गरीबी को 50 प्रतिशत तक कम करना और 8 करोड़ लोगों के लिए रोज़गार का सृजन करना था।
>इसके अलावा, इसका उद्देश्य क्षेत्रीय असमानताओं में कमी लाना था।
>इसने वर्ष 2007 तक शिक्षा और मज़दूरी दरों के क्षेत्र में लैंगिक अंतराल को कम करने का प्रयास किया।
>इस योजना की लक्षित विकास दर 8.1% थी, जबकि वास्तविक वृद्धि 7.6% रही। 
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना (2007-2012)>ग्यारहवीं योजना उच्च शिक्षा में नामांकन बढ़ाने और दूरस्थ शिक्षा के साथ-साथ आईटी संस्थानों पर ध्यान केंद्रित किया। उदाहरण के लिए वर्ष 2009 में शिक्षा का अधिकार अधिनियम प्रस्तुत किया गया जो कि वर्ष 2010 में लागू हुआ, इसने 6-14 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए शिक्षा को निशुल्क और अनिवार्य बना दिया।
>इसकी मुख्य विषयवस्तु तीव्र और अधिक समावेशी विकास थी।
>इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरणीय स्थिरता और लैंगिक असमानता में कमी लाना था।
>इसकी रूपरेखा सी. रंगराजन द्वारा तैयार की गई थी।
>इस योजना में वर्ष 2009 तक सभी को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने पर भी बल दिया गया।
>इस योजना की लक्षित विकास दर 9% और वास्तविक विकास दर 8% थी।
बारहवीं पंचवर्षीय योजना (2012-17)>इस योजना की मुख्य विषयवस्तु “तीव्र, अधिक समावेशी और धारणीय विकास (Faster, More Inclusive and Sustainable Growth)” थी।
>इस योजना का मुख्य उद्देश्य बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को मज़बूत करना तथा साथ ही साथ सभी गाँवों को बिजली आपूर्ति मुहैया कराना भी था।
>इसका उद्देश्य स्कूल में प्रवेश के संदर्भ में लैंगिक और सामाजिक अंतराल को पाटना तथा उच्च शिक्षा तक पहुँच में सुधार करना था।
>इस योजना की लक्षित वृद्धि दर 9% थी, लेकिन वर्ष 2012 में, राष्ट्रीय विकास परिषद ने इस बारहवीं योजना के लिए 8% की वृद्धि दर को मंज़ूरी दी।

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